काश उनको पता हो ये हाल मेरे दिल का
तारों बिना चाँद की भी शान नही है
रूठी हुई हैं जो प्रेमिका हमसे
आजतक चेहरे पर वो मुस्कान नही है
आकाश और धरती के जैसे है ये कहानी
सुलगते अंगारों पर चलती प्रेमी की जुबानी
जल रहे हैं पांव लेकिन चल रहा हूँ मैं
एक नई प्रेम गाथा को यूं लिख रहा हूँ मैं
जिस नफरत की चादर को ओढ़ बैठी हो तुम
प्रेम की बारिश से उसे भिंगो दूंगा मैं
इस कदर यूँ छा जाएंगे दिल मे तुम्हारे हम
चाहोगे सर्दियों में धूप की तरह हमे
गुलाब में लगे होते हैं कांटे जिस तरह
प्रेम में नफरत मिलती है उस तरह
हम दोनों की जुदाई तो किस्मत में है लिखी।
तन्हाइयों के मंजर की यही है आपबीती।
Creation by Dewansh Sharma
Instagram Id - ek_adhuri_khani1311
Thnks sir posting my poem here
ReplyDeleteThis is your place. You earned it keep writing awesome content.
DeleteGud gud
ReplyDeleteLoved this 😍
ReplyDelete