फिर क्यूँ अजनबी बनकर
यूँ ही ज़िन्दगी से चले जाते है ?
कैसे भुलाये उन्हें जो इबादत बन जाते है ...
जब भी भरोसा किया ज़िन्दगी ने
फिर वही रिश्ते ज़िन्दगी से क्यूँ रूठ जाते है?
ना बंध सके उसे पलकों पे अश्क की तरहा
वोह अश्क की तरहा छूट जाते है ..
कुछ रिश्ते दिल चिर जाते है
और ख़ामोशी से चले जाते है
और...हमेशा याद रहे जाते है ...
Creation by Hemisha Shah
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